राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से जनता का हाल बेहाल है। दिल्ली-NCR में गंभीर वायु प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत से जुड़े मामलों को लेकर टेलीविजन पर बहस के कंटेन्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि टीवी पर बहस किसी भी चीज की तुलना में अधिक वायु प्रदूषण पैदा कर रही है। कुल मिला के दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ी फटकार सुन्नी पड़ गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सिर्फ बैठकें हो रही हैं। आप लोग कोई ठोस बात नहीं करते। कोर्ट कि कुछ दिन सड़क से गाड़ियां हटाकर केवल सार्वजनिक परिवहन चलाने जैसी बातें क्यों नहीं की जातीं? इस पर दिल्ली सरकार ने जवाब दिया कि हमने दफ्तरों को बंद कर दिया है, लेकिन एनसीआर से तो गाड़ियां आएंगी ही। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने पूछा कि क्या आप सीएनजी बसों की संख्या बढ़ा सकते हैं, जिससे लोग उसमें दफ्तर जाएं। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि यह देखना होगा कि कितनी बसें हैं, पर एनसीआर से आने वाली गाड़ियों को क्या करेंगे?
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मीडिया में हमारे खिलाफ पराली को लेकर गलत खबरें चलाई गईँ। कहा गया कि हमने कोर्ट को गुमराह किया है। इसलिए हम कोर्ट में अपनी सफाई पेश करना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट को गुमराह नहीं किया है। सार्वजनिक रूप से ऐसी आलोचना होती रहती हैं। हमारा मकसद साफ है। इसलिए मुद्दे से न भटकिए और यह सब भूल जाइए। CJI एनवी रमन्ना ने कहा कि देखा जाए तो टीवी में होने वाली बहस ज्यादा प्रदूषण फैलाती है। सबका अपना एजेंडा है।
बता दें कि चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वायु प्रदूषण को कम करने के कदमों पर ध्यान दे रही है और सिंघवी से कहा कि वे बार-बार पराली जलाने के मुद्दे को न उठाएं, बल्कि उन कदमों पर ध्यान केंद्रित करें, जो दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रस्तावित करती है।