पुडुचेरी विधानसभा में आज कांग्रेस को अपना बहुमत साबित करना था, मगर विश्वासमत के दौरान कांग्रेस पार्टी की सरकार गिर गई है। यह ऐसा दूसरा मौका हैं जब कांग्रेस अपनी सरकार बचाने में नकाम रही हैं इससे पहले कुछ यही हाल मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के साथ भी हुआ था जब ज्योतिराज सिंधिया अपने विधायको के साथ बाग़ी हो गए थे,जिसके बाद कमलनाथ अपनी सरकार बचाने में नकाम रहे थे और उन्हे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
फिलहाल मुख्यमंत्री नारायणसामी ने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। आपको बता दें कि छह विधायकों के इस्तीफा देने के बाद नारायणसामी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। दो विधायकों ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद यहां सियासी संकट और गहरा गई।
आज पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी ने समर्थक विधायकों के साथ विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। उपराज्यपाल से मुलाकात कर उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया। इससे पहले विधानसभा में पुडुचेरी के सीएम वी. नारायणसामी ने कहा, ”हमने द्रमुक और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। उसके बाद, हमने विभिन्न चुनावों का सामना किया। हमने सभी उपचुनाव जीते हैं। यह स्पष्ट है कि पुडुचेरी के लोग हम पर भरोसा करते हैं।”
उन्होंने पूर्व एलजी किरण बेदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ टकराव किया और सरकार को गिराने की कोशिश की। जैसे ही हमारे विधायक एकजुट हुए, हम अंतिम 5 वर्ष निकालने में सफल रहे। लेकिन केंद्र सरकार ने पुडुचेरी के लोगों के साथ विश्वासघात किया है।”
आगे वी. नारायणसामी ने कहा कि तमिलनाडु और पुडुचेरी में हम दो भाषा प्रणाली का पालन करते हैं लेकिन भाजपा हिंदी को लागू करने के लिए जबरन कोशिश कर रही है। नारायणसामी ने कहा कि विधायकों को पार्टी के प्रति वफादार रहना चाहिए। इस्तीफा देने वाले सभी विधायक अब लोगों का सामना नहीं कर पाएंगे क्योंकि लोग उन्हें अवसरवादी कहेंगे।
आपको बता दे कि कांग्रेस के वर्तमान में अब नौ विधायक हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष एसपी शिवकोलुंदी भी शामिल हैं। 33 सदस्यीय विधानसभा में 30 निर्वाचित सीटें हैं और इन 33 में तीन भारतीय जनता पार्टी के नॉमिनेटेड सदस्य भी शामिल हैं।
पुडुचेरी में कांग्रेस नीत गठबंधन वाली सरकार के गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कहा है कि वह सरकार बनाने के लिए दावा नहीं करेगी। बीजेपी ने कहा कि नारायणसामी की सरकार गिरने के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश का सबसे खराब अध्याय समाप्त हो गया। माना जा रहा है कि राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव करवाए जा सकते हैं।