राहुल गांधी ने मंगलवार को जाने माने अर्थशास्त्री से बातचीत के दैरान कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आपातकालीन लगाना गलत था, और ये उनकी एक भूल थी.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जो कुछ 1975 से 1977 के बीच आपातकाल में जो कुछ हुआ वह नही होना चाहिए था.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि आपातकाल में संवैधानिक अधिकार और नागरिक आज़ादी निलंबित कर दी गई थी, प्रेस को प्रतिबंधित कर दिया गया था और बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था. लेकिन ये सारी चीज़ें आज के माहौल से उस वक्त के माहौल से बिल्कुल अलग थी.
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 2, 2021
सत्ताधारी बीजेपी आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरते रहते हैं खास कर वह नेता जो उस वक्त जेल में बंद किए गए थे. और उसकी बड़ी वजह है कि कांग्रेस बीजेपी पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और असहमति के अधिकार को लेकर सवाल उठाती है.
राहुल गाँधी ने मंगलवार को कहा कि आपातकाल और आज जो कुछ हो रहा है, उसमें मूलभूत अंतर है. राहुल ने कहा, ”आरएसएस संस्थानों में अपने लोगों को भर रहा है. अगर हमने बीजेपी को चुनाव में हरा भी दिया तब भी हम संस्थानिक ढाँचा में बैठे उनके लोगों से मुक्त नहीं हो पाएंगे.”
राहुल गांधी ने आगे कहा कि, ”आधुनिक लोकतांत्रिक प्रणाली संस्थानिक संतुलन के कारण है. संस्थान स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. संस्थानों की स्वतंत्रता पर भारत का सबसे बड़ा संगठन, जिसे आरएसएस कहा जाता है, वो हमला कर रहा है. यह सुनियोजित तरीक़े से किया जा रहा है. हम ये नहीं कहेंगे कि लोकतंत्र कमज़ोर किया जा रहा है बल्कि उसे नष्ट किया जा रहा है.”
राहुल गाँधी ने कौशिक बासु से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई एक बात को साझा करते हुए कहा, ”जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बताया कि उनकी सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह उनके आदेशों को नहीं मानते हैं क्योंकि वे सभी आरएसएस से जुड़े हैं. इसलिए अभी जो कुछ हो रहा है वो आपातकाल से बिल्कुल अलग है.”
कांग्रेस पार्टी पहले ही आपसी कलेश से जूझ रही हैं, और ऐसे में राहुल गांधी का यह बयान कही कांग्रेस की मुश्किले और न बढ़ा दे.