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Home अपराध

त्रिपुरा हिंसा पर बोलना पड़ा महंगा, 102 लोगों पर UAPA के तहत केस दर्ज

by Farheen Ansari
November 7, 2021
in अपराध
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त्रिपुरा हिंसा पर बोलना पड़ा महंगा, 102 लोगों पर UAPA के तहत केस दर्ज
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बीजेपी शासित त्रिपुरा में फैली हिंसा को लेकर बोलना लोगों को भारी पड़ रहा है। त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकारों, सोशल एक्टिविसीट्स और वकीलों पर गैरकानूनी गतिविधियों (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही कई अन्य गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। त्रिपुरा पुलिस ने ट्वीट, फेसबुक पोस्ट और यूट्यूब वीडियो को आधार बनाकर गंभीर धाराओं में मुकदमा किया है। UAPA यानी अनलॉ फुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट. ये कानून आतंकी गतिविधियों के मामले में लगाया जाता है। लेकिन बीजेपी शासित राज्य में पत्रकारों समाज सेवकों और वकीनो पर ये लगाया जा रहा है।

त्रिपुरा पुलिस ने पहले सुप्रीम कोर्ट के 4 वकीलों पर UAPA लगाया था. इसके तीन दिन बाद 102 सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ UAPA लगाया है. अगरतला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने इन 102 ट्विटर हैंडल को ब्लॉक करने के लिए ट्विटर को नोटिस भी भेजा है। सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहने वाले एक पत्रकार है श्याम मीरा सिंह। इनपर भी UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, क्युकी उन्होंने ट्वीट कर लिखा था त्रिपुरा इज़ बर्निंग यानि के त्रिपुरा जल रहा है। UAPA के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद पत्रकार श्‍याम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट में लिखा, ”त्रिपुरा में चल रही घटनाओं को लेकर, मेरे तीन शब्द के एक ट्वीट पर त्रिपुरा पुलिस ने मुझ पर UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज किया है, त्रिपुरा पुलिस की FIR कॉपी मुझे मिल गई है, पुलिस ने एक दूसरे नोटिस में मेरे एक ट्वीट का ज़िक्र किया है। ट्वीट था- Tripura Is Burning”। त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मेरे तीन शब्दों को ही आधार बनाकर UAPA लगा दिया है।

For writing only these 3 words “Tripura is burning”, BJP Government of Tripura has imposed UAPA on me. I want to reiterate once again, I will never hesitate to stand up for justice. PM of my country might be a coward, We journalists are not.

मैं आपकी जेलों से नहीं डरता. pic.twitter.com/pw5OrZlDRp

— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) November 6, 2021


पहली बार में इस पर हंसी आती है। दूसरी बार में इस बात पर लज्जा आती है, तीसरी बार सोचने पर ग़ुस्सा आता है। ग़ुस्सा इसलिए क्योंकि ये मुल्क अगर उनका है तो मेरा भी, मेरे जैसे तमाम पढ़ने-लिखने, सोचने और बोलने वालों का भी. जो इस मुल्क से मोहब्बत करते हैं, जो इसकी तहज़ीब, इसकी इंसानियत को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर अपने ही देश में अपने नागरिकों के बारे में बोलने के बदले UAPA की सजा मिले तब ये बात हंसकर टालने की बात नहीं रह जाती। बोलने और ट्वीट करने भर पर UAPA जैसे चार्जेस लगाने की खबर पढ़ने वाले हर नागरिक को एक बार ज़रूर इस बात का ख़्याल करना चाहिए कि अगर पूरे मुल्क में एक नागरिक, एक समूह, एक जाति, एक मोहल्ला या एक धर्म असुरक्षित है तो उस मुल्क का एक भी इंसान सुरक्षित नहीं है। लेट अबेर, एक न एक दिन इंसानियत और मानवता के हत्यारों के हाथ का चाकू आपके बच्चे के गर्दन पर भी पहुँचेगा” . फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के मुताबिक पडोसी देश बांग्लादेश में हिंसा के बाद हिंदू धर्म के लोगों को लगातार भड़काया गया नतीजतन 26 अक्टूबर को 50 से अधिक जगहों पर तकरीबन 10 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई। अनियंत्रित भीड़ ने दर्जनों मस्जिदों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों को निशाना बनाया। रिपोर्ट सामने आने के बाद त्रिपुरा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के खिलाफ भी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने टीम मेंबर पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मुकेश और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अंसार इंदौरी को नोटिस भी भेजा है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी इस मामले पर रियेक्ट करते हुए कहा की राज्य में सम्प्रदाय हिंसा के दौरान रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्ट्स और लेखकों के खिलाफ इस तरह की कार्यवाही से वो हैरान हैं। इसपर आपत्ति जताते हुए गिल्ड ने मांग की कि “पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को दंडित करने” के बजाय दंगों की परिस्थितियों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसने सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए जैसे कड़े कानूनों का संज्ञान लेने की अपनी मांग को भी दोहराया, जिसमें “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है”। इसमें सुप्रीम कोर्ट से कड़े कानूनों पर दिशा-निर्देश जारी करने को भी कहा, जिसके तहत पत्रकारों पर आरोप लगाया जा सकता है ताकि “स्वतंत्रता को दबाने” के लिए कानूनी तंत्र का दुरुपयोग नहीं किया जा सके।

पुलिस का आरोप है कि ये समाज में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए किया जा रहा है। इस संबंध में 68 अड़सठ ट्विटर यूजर्स, 31 फेसबुक यूजर्स और 2 यूट्यूब अकाउंट्स के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। UAPA के अलावा आइपीसी की धारा 153A,तिरेपन 153B, 469उनहत्तर, 471इकहत्तर, 503, 504, 120B जैसी गैर जमानती धाराएं भी लगाई गई हैं।

Tags: shyam meera singhtripuraUAPA on tripura

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