टाइम्स नाऊ के समिट 2021 में कंगना रनौत ने एक ऐसा विवादित बयान दे दिया है जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी जम कर खिल्ली उड़ाई जा रही है। कंगना ने कहा कि जो आजादी हमें मिली, वह तो भीख थी। असली आजादी तो साल 2014 में मिली है। खैर अगर इससे सही ढंग से कहा जाए तो ये इनका बयान नहीं है बाकि इनका वाट्सअप यूनिवर्सिटी वाला ज्ञान है।
दरअसल कंगना ने टाइम्स नाउ की एंकर नाविका कुमार को दिए गए इंटरव्यू के दौरान कहा कि मुझे 2 नेशनल अवॉर्ड तब मिले, जब कांग्रेस का शासन था। जब मैं राष्ट्रवाद की बात करती हूं, आर्मी को बेहतर करने की बात करती हूं और अपनी संस्कृति को प्रमोट करती हूं तो लोग कहते हैं कि मैं बीजेपी का एजेंडा चला रही हूं। उन्होंने कहा कि ये मुद्दा बीजेपी का एजेंडा क्यों है, इसे तो देश का एजेंडा होना चाहिए। अगर कोई भी मेरे बारे में नहीं बोलता तो मैं खुद ही अपने बारे में बोलती हूं। इतना ही नहीं इसके बाद तो नकली झाँसी की रानी ने हद ही कर दी बोलीं कि जो आजादी हमें मिली, वह तो भीख थी। असली आजादी तो साल 2014 में मिली है। इसके बाद सोशल मीडिया पर कंगना ट्रोल होना शुरू होगई। एक ट्विटर यूजर Rofl Gandhi (@RoflGandhi_) ने लिखा कि लकड़ी के घोड़े पर प्लास्टिक की तलवार लेकर वीरांगना बनने वाली सरकारी चाटुकार आजादी के सिपाहियों का अपमान कर रही है। हज़ारों कुर्बानियों के नतीजे को भीख बता रही है।
वही शिव सेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा , “ब्लॉक पर नई रुचि पाठक। भीक में मिली आजादी को 99 साल की लीज से झाँसी की रानी तक। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का सारा खून, पसीना और बलिदान मालिक को खुश करने के लिए खारिज कर दिया। व्हाट्सएप इतिहास के प्रशंसक।”न्यूज़लांड्री के एग्जीक्यूटिव एडिटर अतुल चौरसिया ने ट्वीट किया “अब बहुत हो गया है। इस महिला को मानसिक अस्पताल में भेजने की जरूरत है।”
वही खुद बीजेपी संसद वरुण गाँधी ने कंगना के इस बेहूदा बयां पर विरोध जताते हुए कहा, कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह?
पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कहा- ‘इसलिए तो कहा था: “यदि शोहरत मिले तो सोनू सूद बनना,कंगना नहीं।” भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु सहित लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को भीख बताने वाली कंगना।’ कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने भी गुस्साते हुए कहा- ‘ऐसे लोगों को पद्मश्री दिलाने वाले मोदी जी जवाब दें, क्या हम कुर्बानियों में मिली ‘आजादी’ के 75वे वर्ष का जश्न मना रहे हैं, या आपके भक्तों के अनुसार ‘भीख में मिली’ आजादी का?’
वही कुछ ऐसे लोग भी है जो इस फर्जी झांसी की रानी की इस बेवकूफी पर तालिया पीट रहे हैं। इस बेतुके बयान का समर्थन कर रहे हैं। या यूँ कहे कि हमारी ये पलास्टि के तलवार से लड़ने वाली झांसी की रानी भर्ती जनता पार्टी की भक्ति में इतनी लीन हो चुकी है जिसके चलते आज़ादी के लिए लड़ने वाले , जान गवाने वाले हज़ारों शहीदों की शहादत का अपमान करने से भी पीछे नहीं रही। और अब आप खुद सोचिये देश के लिए मर मिटने वाले स्वतंत्र सेनानियों का अपमान करने वाले ऐसे लोगो के हाथ में पद्मश्री देना चाहिए या देशद्रोही कहना चाहिए ?