गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसा कमाल किया है जिसे सुन कर हर कोई दांग है। दरअसल 11 नवंबर की सुबह गाय काट रहे गैंग से पुलिस की मुठभेड़ हो गई। दोनों ओर से 20 राउंड गोलियां चली। सात गो-तस्कर पैर में गोली लगने से घायल हो गए। इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से 7 अवैध तमंचे, 12 जिंदा और 7 खोखा कारतूस और गोतस्करी में इस्तेमाल उपकरण बरामद दिए गए हैं।
अब आप सोचेंगे की आखिर इसमें हैरान करने वाला क्या है ? पुलिस की मुठभेड़, अन्कॉउंटर ये सब तो होता ही रहता है! लेकिन इस खबर में अनोखी बात ये है कि सभी आरोपियों को एक ही जगह पर – पैर में घुटने के नीचे – गोली लगी है। जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमे आप देख सकते है कि सातों के सातों बदमाशों के पैर में एक ही जगह पट्टी बंधी हुई है। फरक सिर्फ दए और बाए पैर का है. जैसे एक एक नींच नाप कर, गोली मारी गई हो। इससे देख के हर कोई यही कह रहा है कि अबकी बार यूपी पुलिस को ओलम्पिक में भेजना चाहिए एक गोल्ड तो मिल ही जाएगा। क्युकी अन्कॉउंटर के दौरान तो मूवमेंट भी होता रहता है, अपराधी अपने बचाओ में इधर उधर भागते है। फिर भी इतना सटीक निशाना। आखिर कैसे ?
अब आप पूरा मामला भी जान लीजिये। गाजियाबाद के थाना लोनी बॉर्डर को सूचना मिली कि बेहटा हाजीपुर इलाके के पास वाले एक गोदाम में गाय कटी जा रही है. सूचना पर थाना लोनी बॉर्डर पुलिस गोदाम पर पहुंची. इसपर पुलिस ने बताया , “मौके पर कुछ व्यक्तियों द्वारा गाय कटान का काम चल रहा था. पुलिस ने गाय काट रहे आरोपियों को घेर लिया. आरोपियों ने अपने आप को घिरा देख पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. भागने का प्रयास किया. आरोपियों की ओर से करीब 7 राउंड फायरिंग की गई. पुलिस ने भी अपने बचाव में करीब 13 राउंड फायर किए।”
फायरिंग के दौरान सात बदमाश घायल हो गए, जिनको गिरफ्तार कर इलाज के लिए भर्ती कराया गया । दो अभियुक्त मौके से फरार हो गए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। गिरफ्तार अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास की भी जानकारी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने आदिल का गोदाम कबाड़े के काम के बहाने किराये पर लिया था। दो-तीन दिनों से पशुओं को मरा जा रहा था। आरोपी रात के समय सड़क पर घूमने वाले आवारा पशुओं को टेंपो में भरकर गोदाम तक लाते थे। आदिल के जिस गोदाम में कथित तौर पर पशु काटने का काम किया जा रहा था, वहां भारी मात्रा में पुराने सर्जिकल दस्ताने भी थे। आरोप है कि इन पुराने संक्रमित सर्जिकल दस्तानों को धोकर दोबारा पैक कर बाजार में बेचा जाता था। मामला गंभीर है जांच चल रही यही लेकिन पुलिस का ये सटीक निशाना लगाने वाला टैलेंट काफी मज़ेदार है। ये कोई पहली बार तो है नहीं कि पुलिस ने कोई ऐसा कारनामा किया हो , इससे पहले यूपी पुलिस “थाएं थाएं” कर के गोरी मर चुकी है या हालही में कलराज में अल्ताफ केस में पुलिस ने दवा किया था कि उसने वाशरूम में नीचे लगे नल से लटक कर सोसाइड कर लिए। अब क्या पता सरकार भी इस घटना के बाद उप पुलिस इम्प्रेस से होकर इन्हे ओलम्पिक्स में भेज ही दे।